महाराणा संग्राम सिँह (साँगा) का परिचय

 परिचय :- राणा सांगा (महाराणा संग्रामसिँह) 1509 से 1528) उदयपुर में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे तथा राणा रायमल के सबसे छोटे पुत्र थे।

       हिन्दुवा सुर्य महान राजपूत सम्राट महाराणा सांगा का चित्र

राणा रायमल के तीनों पुत्रों ( कुंवर पृथ्वीराज, जगमाल तथा राणा सांगा ) में मेवाड़ के सिंहासन के लिए संघर्ष प्रारंभ हो जाता है। एक भविष्यकर्त्ता के अनुसार सांगा को मेवाड़ का शासक बताया जाता है ऐसी स्थिति में कुंवर पृथ्वीराज व जगमाल अपने भाई राणा सांगा को मौत के घाट उतारना चाहते थे परंतु सांगा किसी प्रकार यहाँ से बचकर अजमेर पलायन कर जाते हैं तब सन् 1509 में अजमेर के कर्मचन्द पंवार की सहायता से राणा सांगा मेवाड़ राज्य प्राप्त हुुुआ | 

          महाराणा सांगा ने सभी राजपूत राज्यो को संगठित किया और सभी राजपूत राज्य को एक छत्र के नीचे लाएं। उन्होंने सभी राजपूत राज्यो से संधि की और इस प्रकार महाराणा सांगा ने अपना साम्राज्य उत्तर में पंजाब सतलुज नदी से लेकर दक्षिण में मालवा को जीतकर नर्मदा नदी तक कर दिया। पश्चिम में में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में बयाना भरतपुर ग्वालियर तक अपना राज्य विस्तार किया इस प्रकार मुस्लिम सुल्तानों की डेढ़ सौ वर्ष की सत्ता के पश्चात इतने बड़े क्षेत्रफल हिंदू साम्राज्य कायम हुआ इतने बड़े क्षेत्र वाला हिंदू सम्राज्य दक्षिण में विजयनगर सम्राज्य ही था। राणा सांगा ने भारतीय इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ दी। 16वी शताब्दी के सबसे शक्तिशाली शासक थे इनके शरीर पर 80 घाव थे।बयाना के युद्ध के पश्चात् 17 मार्च,1527 ई. में खानवा के मैैैदान में राणा साांगा घायल हो गए। ऐसी अवस्था में राणा सांगा पुनः बसवा आए जहाँ सांगा की 30 जनवरी,1528 को मृत्यु हो गयी, लेकिन राणा सांगा का विधि विधान से अन्तिम संस्कार माण्डलगढ (भीलवाड़ा) में हुआ। इनको हिंदुपत की उपाधि दी गयी थी। इतिहास में इनकी गिनती महानायक तथा वीर के रूप में की जाती हैं।

सांगा के संघर्ष और विजय :-राणा सांगा

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ 1509 ई. में जब राणा सांगा का राज्यभिषेक हुआ। तब दिल्ली का शासक सिकन्दर लोदी था। 1505 में उसने आगरा की स्थापना करवाई। 1517 में उसकी मृत्यु के उपरान्त इसका पुत्र इब्राहिम लोदी शासक बना। उसने मेवाड़ पर दो बार आक्रमण किया।


1. खातोली का युद्ध (बूंदी) 1518

 2.बारी (धौलपुर) का युद्ध


दोनो युद्धो में इब्राहिम लोदी की पराजय हुई। 1518 से 1526 ई. तक के मध्य राणा सांगाा अपने चरमोत्कर्ष पर था। 1519 में राणा सांगा ने गागरोन के युद्ध में मालवा के शासक महमूद खिल्ली द्वितीय को पराजित किया।


पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रेल 1526)


1. मूगल शासक बाबर


2. पठान शासक इब्राहिम लोदी


इस युद्ध में बाबर की विजय हुई और उसने भारत में मुगल वंश की नीव डाली।

बाबर व रााणा सांगा के मध्य संघर्ष :- 

सागा और बाबर के बीच दो युद्ध हुए। पहले युद्ध फरवरी 1527 में बयाना का युद्ध (भरतपुर) हुआ। जिसमे सांगा विजयी रहे। और दुुुुसरा युद्ध 17 मार्च 1527 खानवा (भरतपुर) में हुुआ। सांगा की सहायता के लिए मारवाड शासक राव गंगा ने अपने पुत्र माल देव के नेतृत्व मे 4000 सैनिक भेजे ।इसके अलावा बीकानेर शासक कल्याण मल और आमेर शासक पृथ्वीराज कछवाह भी सहायता के लिए आए। 

       हसन खां मेवाती खानवा युद्ध में सांगा के सेनापति बने। इसके अलावा चदेरी से मेदिनी राय , बागड़ (डूगरपुर) से  रावल उदयपुरसिंह व खेतसी, देवलिया से राव बाघ सिंह, ईडर से भारमल व झाला अज्जा ने आकर सांगा की सहायता की। 

बाबर ने इस युद्ध को जेहाद (धर्मयुद्ध) का नाम दिया। इस युद्ध में बाबर की विजय हुई। बाबर ने गाजी (विश्वविजेता) की उपाधी धारण की। 1528 ई. में राणा सांगा को किसी सामन्त ने जहर दे दिया परिणामस्वरूप सांगा की मृत्यु हो गई। सांगा का अन्तिम संस्कार भीलवाडा के माडलगढ़ नामक स्थाप पर किया गया जहां सांगा की समाधी /छतरी है।

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