सल्लाहुद्दीन अयुबी का परिचय

 एक प्यारा सा बच्चा तकरीबन 10 साल का अपने साथियों के साथ गली में खेल रहा है तभी एक काली दादी वाले शख्स आते हैं जो नमाज पढकर लौट रहे हैं, जो पक्के सच्चे सुन्नी मुस्लिम लग रहे हैं वो आकर चुपचाप बच्चे को उठाते हैं और जोर से जमीन पर पटक देते है और चिल्लाते हुए बोलते हैं, सल्लाहुद्दीन अयुबी मैने तेरी अम्मी से और तेरी अम्मी ने मुझ से निकाह करके तुझे इसलिए नही पैदा किया बल्कि इस लिए पैदा किया है कि तु मुस्लिम का दिल कहे जाने वाले बैतुल मुकदिस को सलेबियो के हाथो से छीन सके जिन पर उन बदजातो ने नाजायज कब्जा कर रखा है। 



फिर प्यार से बोले मेरे जिगर के टुकडे तुझे नीचे फेका तो तु रोया क्यु नही?

सल्लाहुद्दीन अयुबी कपड़े साफ करते हुए उठा और बोला फक्र से अब्बू बैतुल मुकदिस को फतेह करने वाले मुजाहिद रोया चिल्लाया नही करते

इसके बाद सल्लाहुद्दीन अयुबी ने बैतुल मुकदिस को फतेह करना मक़सद बना लिया,,

मुस्लमानो और इसाइयों में अब तक तीन जंग हो चुकी हैं, जिन्हें सलेबी जंग कहा जाता है और दो जंगो मे हार के बाद तीसरी जंग सल्लाहुद्दीन अयुबी के हौसले से मुस्लमानो को कामयाबी मिल गई।

जब वो 16-17 साल के हुए तो तब के दौर के बादशाह नूरी जंगी के लश्कर में एक सिपाही बनकर शामिल हों गए ।नूरी जंगी का भी सपना था कि वो बैतुल मुकदिस को फतेह करे और अपने हाथ से उसमें सीढी लगाए। जब नूरी जंगी ने नौजवान सिपाही सल्लाहुद्दीन अयुबी की शमशीर की फुर्ती और लडने का तरीका देखा तो वो हैरान रह गया उसे उन्हें सेनापति बनाकर मिस्र फतेह करने भेज दिया। सल्लाहुद्दीन अयुबी ने अपनी बहादुरी और अक्ल से मिस्र फतेह कर लिया। उसके बाद उन्हें सिपेसलाहार बना दिया गया।

कुछ समय बाद जब नूरी जंगी की तबियत बिगडी तो उसने अपनी हकुमत का सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी को बना दिया ।इसके बाद फिर क्या था, सुल्तान अपनी सेना के साथ बैतुल मुकदिस में जा घुसे, कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया। वहा के मुस्लमानो ने भी उनका साथ दिया। जब इसाइयों के मुख्य को पता चला कि कोई 23-24 साल का मुजाहिद बैतुल मुकदिस फतेह करने आ गया है तो वे हँसकर बोले बच्चा है मिनटो में मुठ्ठी में कर लेगे 
उन्होने अपने मंत्री को नाजी नाम का मुस्लिम बनाकर सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी का भरोसा जीतकर खास बनकर उन्हें शराब और शबाब में भला फुसला कर उसका मकसद भुलाने को कहा था। पहले जब इसाई सीधे लड नही पाते थे तो वे तीन हथकंडे अपनाते थे पहला अपने साथी को मुस्लिम बनाकर जासूसी के लिए भेज देते थे, दुसरा वो मुस्लिम सुल्तान को शराबी बनाने के की कोशिश करते थे और जब सब कुछ काम ना आता तो वह आखिरी मे कोई औरत को भेजते थे ताकि वो अपने हुस्न के जाल में फंसा ले। 
नाजी ने भी सल्लाहुद्दीन अयुबी को शराबी बनाने की कोशिश की लेकिन वो अल्लाह के मुजाहिद थे, इसलिए उसके बेहकावे मे ना आए। एक दिन नाजी ने कहा सुल्तान एक औरत बडी परेशान है और आपसे अकेले में मिलना चाहिए है सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी उसकी चाल समझगे और बोले चलो ठीक है भेजो मेरे खेमे में। सुल्तान अपनी गद्दी पर बैठे हैं औरत बहुत कम कपडो में अंदर गई, सुल्तान ने अपना साफा निकालकर औरत की तरफ कर दिया और बोले अपना बदन ढक लो औरत हैरान और साफा लपेट लिया, फिर सुल्तान ने एक नज़र उसे देखा फिर नजरे नीचे करके अपनी शमशीर को देखने लग गए, औरत ने कहा सल्लाहुद्दीन तुम मेरे हुस्न की तौहीन कर रहे हो, सल्लाहुद्दीन अयुबी शमशीर को देखते हुए मुस्कराहट के साथ बोले अल्लाह ने मुस्लिम को औरत पर गलत नजर डालने से मना किया है और मै दिल तुमे कैसे दे दु मेरा दिल तो अल्लाह और उनके हबीब मुहम्मद मुस्तफा के लिए धडकता है। फिर सुल्तान ने कहा तुम्हारे अम्मी अब्बू कौन है? तो औरत रोते हुए बोली सलेबी मुझे बचपन में उठाकर लाए थे मै नही जानती। फिर सुल्तान बोले ऐ औरत सुन इतने बडे खेमे में कही भी सो तेरी इज्जत पर कोई आंच नही आएगी। लेकिन जैसा कहता हु कल सुबह वैसा ही नाजी को कहना। औरत रात भर वहा सोती रही पर सुल्तान ने उसे नजर उठाकर ना देखा। सुबह उस औरत ने नाजी से कहा मैने अपना काम कर दिया। 
नाजी ने शोर मजा दिया कि हमारा सुल्तान बेहया है माजाअल्लाह इस औरत की इज्जत लुट ली सारा लश्कर इकट्ठा हो गया, सुल्तान ने औरत को कहा सच्चाई बताओ। उसने सब बयान कर दिया फिर क्या सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी ने अपनी शमशीर निकाली और बिजली की तेजी की तरह वार करके उसका सिर कलम कर दिया। 


और शमशीर उठाकर अल्लाह हु अकबर कहकर अपने लश्कर को हुक्म दिया की सारे बैतुल मुकदिस फतेह कर लो देखते ही देखते हजारो की फौज ने सलेबियो की लाखो की फौज को चीर फाडकर शहर से बाहर भगा दिया और बैतुल मुकदिस पर फतेह करके सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी ने अपने हाथो से नूरी जंगी की बनाई सीढी लगाई। यह घटनाक्रम 10 वी सदी के मध्य काल का है। 

जैसे ही ये खबर यूरोप में फैली तो अमेरिका अफ्रीका फ्रांस इंग्लैण्ड जैसे देशो से 6 लाख की सेना इकट्ठी होकर हातीन के मैदान में आ पहुची, जब सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी को इस बात का पता चला तो उन्होने अपनी 30-40 हजार की फौज को कहा हमने अल्लाह की रजा के लिए जालिम के सामने घुटने ना टेक कर जेहाद का रास्ता चुना है और अब या तो सिर काटेगे या फिर कटवायेगे पर बैतुल मुकदिस उनका ना होने देगे। फिर सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी ने अपनी शमशीर निकाली और बोले टुट पडो इन जाहिलो पर बस इतना कहना था कि सारा लश्कर सलेबी फौज पर भुखे शेरो की तरह टुट पडा और देखते ही देखते सलेबी फौज में हाहाकार मच गया, सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी की शमशीर बिजली की तरह चल रही थी, दुश्मनों को वे काटे जा रहे थे। चेहरा और हाथ खून से सन हो गए। कुछ दिनो तक यह जंग चली और आखिरकार सलेबी फौज हार मानकर सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी के आगे झुककर अपने देश बैतुल मुकदिस को छोड़कर चली गई।

क्या आप जानते है विश्व का पहला शिक्षा बजट सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी ने ही शुरू किया था इसके साथ वो बडे दयालु भी थे उन्होने जंग के बाद कुछ गरीब इसाइयों को अपनी सल्तनत में खुद अपने तरफ से कर देकर रखा था। सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी ने लगभग 50% दुनिया पर कई साल तक राज किया था। सुल्तान सल्लाहुद्दीन अयुबी का मशहूर मशवरा था कि  किसी कौम को जंग मे हराना हो तो उसके नौजवान मे बेहयाई और बुराई आम करदो

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